सूर्य अष्ठकम् – Surya Ashtakam
भगवान सूर्य को नवग्रहों का राजा माना जाता है, वे शनिदेव और यमराज के पिता है, तो उनकी नित्य पूजा करके आप नवग्रहों का दोष और हानिकारक प्रभाव कम कर सकते है | हमें रोज भगवान सूर्य के 12 नाम लेते हुए उन्हें जल अर्पण करना चाहिए, ऐसा करने से वे प्रसन्न हो जाते है |
“सूर्य अष्ठकम् भगवान सूर्य को अर्पण किया गया स्तोत्र है | ये एक बहुत ही लाभकारी अष्टक है अगर इसे नित्य सुबह जपा जाए तो ये विभिन्न फायदे प्रदान करता है | इसे अपनी दैनिक पूजनक्रम में शामिल कर के लाभ उठाये | अगर आप नौकरी को लेकर परेशान है, कार्यो में बाधा आ रही है, बॉस परेशान करता है या आपके द्वारा किये गए कार्यो को उचित सम्मान नहीं मिलता है, तो सूर्य अष्ठकम् ही आपकी किस्मत को चमकाने में मदद कर सकता है | “सिद्ध सूर्य यन्त्र” का इस्तेमाल करके आप इस अष्टक का प्रभाव और भी बढ़ा सकते है |”
सूर्य अष्ठकम् मंत्र | Surya Ashtakam Mantra Lyrics
आदिदेव नमस्तु-भ्यम, प्रसिद् मम भास्कर,
दिवाकर नमस्तु-भ्यम, प्रभाकर नमो-स्तुते ||१||
सप्ताश्व रथ-मारू-ढम्, प्रचंडम् कश्य-पात्मजम,
श्वेत पद्मा-धरम देवं, तं सूर्य प्रण-माम्यहम ||२||
लोहितम रथ-मारू-ढम्, सर्वलोक पिता-महम,
महापाप हरम देवं, तं सूर्य प्रण-माम्यहम ||३||
त्रैगुन्यश्च महाशुरम ब्रम्हा-विष्णु महेश्वरं,
महापाप हरम देवं, तं सूर्य प्रण-माम्यहम ||४||
ब्रुम्हिम्तम तेजः पुन्जम्च, वायु-राकाश्-मेव च,
प्रभुत्वं सर्वलोका-नाम, तं सूर्य प्रण-माम्यहम ||५||
बन्धुक-पुष्प-संकानशम, हार-कुंडल-भुशितम,
एक-चक्र-धरम देवं, तं सूर्य प्रण-माम्यहम ||६||
तं सूर्य लोक-कर्तारम, महा तेजः प्रदिप्नम्,
महापाप हरम देवं, तं सूर्य प्रण-माम्यहम ||७||
तं सूर्य जगतां नाथं, ज्ञान-प्रकाश-मोक्ष-दम्,
महापाप हरम देवं, तं सूर्य प्रण-माम्यहम ||८||
सूर्य-अष्ठकम् पाठे नित्यम, ग्रह-पीड़ा प्रनाशानाम्,
अपुत्रो लभते पुत्रं, दारिद्रो धन्वान भवेत् ||९||
अमिषम मधुपनाम च, यः करोति रवेद्रिने,
ना व्याधि शोक दारिद्रयं, सूर्य लोकं च गच्छती ||१०||