विधि न तेरी लेखनी
निष्ठुर निर्मम क्रूर
जो सपने हो नहीं दूर रहे
कर दिया उनको दूर
विधि न तेरे लेख किसी की
समझ न आते है
राम सिया युग युग के साथी
बिछड़े जाते है
राम सिया युग युग के साथी
बिछड़े जाते है
विधि न तेरे लेख किसी की
समझ न आते है
कैसे है ये राजा रानी
कैसी इनकी करुण कहानी
ये पलकों पे रोक रहे है
पीड़ा के सागर का पानी
ये पलकों पे रोक रहे है
पीड़ा के सागर का पानी
एक दूजे से एक दूजे की
पीर छुपाते है
राम सिया युग युग के साथी
बिछड़े जाते है
विधि न तेरे लेख किसी की
समझ न आते है
कुलजन परिजन महल अटारी
छूटी जाये अयोध्या प्यारी
सारा नगर नींद में सोया
क्या जाने किस ने क्या खोया
नीरव निसि ने धरम के रथ पर
जोगन चल दी
कर्म के पथ पर
बिछड़ के भी न टूट सके ये
ऐसे नाते है
राम सिया युग युग के साथी
बिछड़े जाते है
विधि न तेरे लेख किसी की
समझ न आते है
राम सिया युग युग के साथी
बिछड़े जाते है
राम सिया युग युग के साथी
बिछड़े जाते है
अपनी अंतर्मन से
हरा हुआ है मोन है
रघुवर तो सीता संग गए
जो रह गया वो कौन है
मन की दृष्टि चिंता भावना
केवल सिया की और है
आसा की एक किरण नहीं
कैसे कहु ये भोर है
ये रेन है या भोर है