कोल्हापुर स्थित महालक्ष्मी देवी का मंदिर 1800 साल पुराना है।
कोल्हापुर/पुणे: कोल्हापुर की महालक्ष्मी देवी को पहली बार साड़ी की जगह घागरा चोली पहनाई जाने से श्रद्धालुओं ने हंगामा किया। परंपरा तोड़ देवी को घागरा चोली पहनाने वाले पुजारी के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराने की मांग श्रद्धालुओं द्वारा की जा रही है। महालक्ष्मी के मंदिर को रहस्यमयी बताया जाता है। इस रहस्यमयी मंदिर के आगे विज्ञान भी नाकाम साबित रहा है। 1800 साल पुराने इस मंदिर में करोड़ों का खजाना निकला था। छुपा है बेशकीमती खजाना…..

mahalaxmi-temple-kolhapur
-कहा जाता है कि महालक्ष्मी मंदिर में बेशकीमती खजाना छिपा है। चार साल पहले जब इसे खोला गया तो यहां सोने, चांदी और हीरों के ऐसे आभूषण सामने आए जिसकी बाजार में कीमत करोड़ों रुपए में थी।
– खजाने में सोने की बड़ी गदा, सोने के सिक्कों का हार, सोने की जंजीर, चांदी की तलवार, महालक्ष्मी का स्वर्ण मुकुट, श्रीयंत्र हार, सोने की चिड़िया, सोने के घुंघरू, हीरों की कई मालाएं, मुगल आदिल शाही, पेशवा काल के जेवरात मिले थे।
– इतिहासकारों के मुताबिक, कोल्हापुर के महालक्ष्मी मंदिर में कोंकण के राजाओं, चालुक्य राजाओं, आदिल शाह, शिवाजी और उनकी मां जीजाबाई तक ने चढ़ावा चढ़ाया है।
– मंदिर की सुरक्षा पुख्ता कर सीसीटीवी कैमरों की जद में इस खजाने की गिनती पूरे 10 दिन तक चली थी।
– खजाने की गिनती के बाद आभूषणों का बीमा करवाया गया था। इससे पहले मंदिर के खजाने को 1962 में खोला गया था।

राजा कर्ण देव ने करवाया था निर्माण

– मंदिर के बाहर लगे शिलालेख से पता चलता है कि यह 1800 साल पुराना है।
– शालि वाहन घराने के राजा कर्णदेव ने इसका निर्माण करवाया था, जिसके बाद धीरे-धीरे मंदिर के अहाते में 30-35 मंदिर और निर्मित किए गए।
– 27 हजार वर्गफुट में फैला यह मंदिर 51 शक्तिपीठों में शुमार है। आदि शंकराचार्य ने महालक्ष्मी की मूर्ति की प्राण-प्रतिष्ठा की थी।

mahalaxmi

खंभो से भी जुड़ा है रहस्य
– इस मंदिर को लेकर कहा जाता है कि इस मंदिर में स्थित खंभों से एक ऐसा रहस्य जुड़ा है जिसे सुलझाने में विज्ञान भी नाकाम साबित हुआ है।
– मंदिर के चारों दिशाओं में एक-एक दरवाजा मौजूद है और इसके खंभों को लेकर मंदिर प्रशासन का दावा है कि आज तक इन्हें कोई गिन नहीं सका है।
– मंदिर प्रशासन की मानें तो कई बार लोगों ने इन्हें गिनने की कोशिश की लेकिन जिसने भी ऐसा किया उसके साथ कोई न कोई अनहोनी घटना देखने को मिली है।
– विज्ञान भी इस रहस्य से पर्दा उठाने में नाकाम साबित हुआ है। कैमरे की सहायता से इन्हें काउंट करने का प्रयास हुआ लेकिन वह भी नाकाम साबित हुआ।

यह है मंदिर की विशेषता
– कहा जाता है कि देवी सती के तीनों नेत्र यहां गिरे थे। यहां भगवती महालक्ष्मी का निवास माना जाता है।
– मंदिर की सबसे बड़ी खासियत यह है कि साल में एक बार सूर्य की किरणें देवी की प्रतिमा पर सीधे पड़ती हैं।
– बड़े पत्थरों को जोड़कर तैयार मंदिर की जुड़ाई बगैर चूने के की गई है। मंदिर में श्री महालक्ष्मी की तीन फुट ऊंची, चतुर्भुज मूर्ति है।
– ऐसा कहा जाता है कि तिरुपति यानी भगवान विष्णु से रूठकर उनकी पत्नी महालक्ष्मी कोल्हापुर आईं थी।
– इस वजह से आज भी तिरुपति देवस्थान से आया शाल उन्हें दीपावली के दिन पहनाया जाता है।
– कोल्हापुर की श्री महालक्ष्मी को करवीर निवासी ‘अंबाबाई’ के नाम से भी जाना जाता है।
– यहां दीपावली की रात महाआरती में मांगी मुराद पूरी होने की जन-मान्यता है।

About the author

admin

Leave a Comment

error: Content is protected !!