अयोध्या नगरी भारत के उत्तर प्रदेश राज्य के फैजाबाद जिले का पास स्थित है। यह नगरी भारत के सात पवित्र तीर्थस्थलों में से एक मानी जाती है। यह नगरी शरयू नदी के तट पर बसी हुई है। इस नगरी को प्राचीन काल मे कौशल नगर के नाम से जाना जाता था।
वेदों के अनुसार अयोध्या नगरी ईश्वरो की नगरी है, यही नही इस नगरी की तुलना स्वर्ग के रूप में भी की गई है।
अयोध्या राम मंदिर की जानकारी – Ayodhya Ram Mandir History
ऎतिहासिक रुप से देखा जाए तो प्राचीन काल में राजाओं के बीच इस नगरी का विशेष महत्व था। तथा यह नगरी सूर्यवंशी राजाओं की राजधानी हुआ करती थी।
अयोध्या नगरी को मंदिरों की नगरी के रूप में भी जाना जाता है। इस नगरी में विभिन्न धर्मों से जुड़े हुए अवशेष देखने को मिल जाते हैं जिससे इस बात की पुष्टि होती है कि यहाँ पर प्राचीन काल मे कई तीर्थ स्थान थे।
हिन्दू धर्म की मान्यता के अनुसार अयोध्या नगरी श्री राम चन्द्र जी की जन्म भूमि – Ram Janmabhoomi है। और प्राचीन काल मे अयोध्या में एक भव्य राम मंदिर विराजमान था, जिसको मुग़ल शासक बाबर ने तुड़वा दिया था और इसके स्थान पर एक मस्जिद का निर्माण कराया था जिसे बाबरी मस्जिद – Babri Masjid का नाम दिया गया।
बाद में इस स्थान पर मात्र इमारत का ढांचा ही शेष रह गया था, जो कि विवादों में घिरा हुआ था कि इस स्थान पर मंदिर का निर्माण होगा या फिर मस्जिद का।
सन 1992 में राम भक्त की अगुवाई में इस विवादित ढांचे को हटा कर यहाँ पर एक अस्थायी मंदिर की स्थापना की गई।
अयोध्या राम मंदिर से जुड़े कुछ खास मुद्दें – Some special issues related to the Ayodhya Ram temple
- हिंदुओ के धार्मिक मान्यता के अनुसार अयोध्या में श्री राम का जन्म हुआ था और इनका एक भव्य मन्दिर अयोध्या में था। और सन 1528 में मुग़ल शासक बाबर के द्वारा इस मंदिर को तोड़ दिया गया और यहाँ पर मस्जिद की स्थापना की गई।
- मंदिर तथा मस्जिद से जुड़े हुए इस विवाद की शुरुआत सन 1853 में प्रारंभ हुई।
- सन 1859 में जब भारत पर अंग्रेजो का शासन था उस समय अंग्रेजो ने हिन्दू एव मुस्लिम के बीच बढ़ रहे इस विवाद का हल निकालते हुए यह फैसला लिया कि मुसलमान इमारत के अंदर के हिस्से में नमाज अदा कर सकते है और हिन्दू इमारत के बाहरी हिस्से में पूजा पाठ की क्रिया कर सकते हैं। इस प्रकार से दोनों ही धर्मो के लोग इस स्थान का प्रयोग कर सकते है।
- सन 1949 में जब भारत अंग्रेजो की गुलामी से आजाद हो चुका था, तब इस इमारत के अंदर के हिस्से में भगवान राम की मूर्ति स्थापित कर दी गयी, जिसके बाद हिंदुओ एवं मुसलमानों के बीच काफी विवाद निर्माण हो गया, हिंदुओ एवं मुसलमानों के बीच बढ़ते हुए तनाव को देखते हुए सरकार को फैसला लेना पड़ा कि इमारत के मुख्य द्वार पर ताला लगा दिया जाए।
- इसके बाद सन 1986 में न्यायाधीशो द्वारा यह फैसला लिया गया कि इस स्थान को हिंदुओ के पूजा स्थल के रूप में खोल दिया जाए, परन्तु मुस्लिम समुदाय ने इस बात का जमकर विरोध किया और यही नही इसके विरोध में उन्होंने बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी की भी स्थापना कर दी।
- इस घटना के बाद सन 1989 में विश्व हिंदू परिषद द्वारा इस बात की गुहार लगाई गई कि इस विवादित स्थल से सटी हुई जो जमीन है वहाँ पर राम मंदिर का निर्माण किया जाए। जिसके बाद 6 दिसम्बर सन 1992 को इस इमारत को नष्ट कर दिया गया जिसका परिणाम यह हुआ कि पूरे देश मे हिंसात्मक दंगे शुरू हो गए, जिसमें लगभग दो हजार लोगों को अपनी जान गवानी पड़ी।
- इस घटना के घटित होने के बाद 16 दिसम्बर 1992 को लिब्रहान आयोग को स्थापना की गई एव आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश एम. एस. लिब्रहान जो कि सेवानिवृत्त हो चुके थे उन्हें इस आयोग का अध्यक्ष बनाया गया। इस आयोग को 31 मार्च 1993 तक का समय दिया गया, जिसमे उन्हें इमारत से जुड़े रिपोर्ट को पेश करने को कहा गया। परन्तु 30 जून 2009 तक यह आयोग किसी भी प्रकार की रिपोर्ट देने में असफल रहा।
- इसके बाद सन 2010 में इलाहाबाद उच्च न्यायालय के लखनऊ पीठ ने इस विवादित जमीन से जुड़ा फैसला सुनाते हुए इस भूमि को रामजन्मभूमि घोषित किया। न्यायालय ने यह फैसला बहुमत के आधार पर दिया। तथा साथ ही न्यायालय ने यह फैसला भी लिया कि इस विवादित भूमि के जिस हिस्से पर मुसलमान नमाज अदा करते आये है उस हिस्से को मुसलमानों को दे दिया जाए। न्यायालय द्वारा दिया गया यह फैसला हिन्दू एवं मुस्लिम दोनों ही समाजो को नामंजूर था, जिसका नतीजा यह हुआ कि दोनों पक्षो ने इस फैसले को मानने से इनकार कर दिया और अपना रुख सुप्रीम कोर्ट की तरफ मोड़ दिया।
- 8 साल बीत जाने के बाद भी सर्वोच्च न्यायालय द्वारा इस मुद्दे से जुड़ा कोई भी अंतिम फैसला अब तक नही सुनाया गया है। हालांकि आईं फैसले को सुनने के उद्देश्य से कई तिथि निर्धारित की गई परन्तु इसके बावजूद इससे जुड़ा कोई भी फैसला न्यायालय द्वारा अभी तक नही लिया गया है।
अब देखने वाली बात यह है कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा इस मुद्दे से जुड़ा कोई फैसला कब आएगा और यह फैसला किसके हिट में लिया जाएगा साथ ही इस फैसले का क्या परिणाम होगा।
Read More Article
इस्कॉन मंदिर का इतिहास | ISKCON Temple History
Like Our Facebook Page – Bhakti Sadhana
[…] अयोध्या राम मंदिर की जानकारी | Ayodhya Ram Mandir Hi… […]